Tuesday, January 14, 2025

मिलिए इस महान सांस्कृतिक योद्धा से….

आज से  पचास-साठ साल पहले का समय...अपनी बदहाली और बेबसी पर रोता हुआ छपरा का क़ुतुबपुर दियारा...घोर जमींदारी और सामन्तवाद से लड़ते गरीब, अपनी...

रोजा नहीं रखता मगर इफ्तारी समझता है

एक परिचित नेता जी कल दिखे..पता नहीं क्यों उनको देखते ही मेरा दिल दिल्ली और दिमाग केजरीवाल होने लगता है....कहने को समाजवादी हैं बेचारे...

जीवन संगीत

हँसी-खुशी हो ली…

बाहर का मौसम बदलते ही मन का मौसम भी बदलने लगता है। इन दिनों खिड़की खोलते ही ताजी हवा जादू जैसा काम...
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हमारा समाज