Thursday, February 6, 2025

प्रतियोगिता काण्ड ( इम्तेहान के किस्से )

हाल-ए-दिल ये था कि प्रतियोगिता दर्पण देखते-देखते पता नहीं चल रहा था कि दर्पण में खुद को देखे कितने दिन हो गए...

मंटूआ-पिंकीया की असली प्रेम कहानी

मौसम में हल्की नमी थी और हवा में बंसत की सुवास.आसमान में देखते ही मन उड़ने लगता था.मानों वो चिल्ला-चिल्ला के कह रहा हो."अब...

जीवन संगीत

हँसी-खुशी हो ली…

बाहर का मौसम बदलते ही मन का मौसम भी बदलने लगता है। इन दिनों खिड़की खोलते ही ताजी हवा जादू जैसा काम...
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