ए मंटू…पिंकिया आज पास हो गई रे..

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आज एशिया के सबसे बड़े बोर्ड UP BOARD का RESULT आ  गया.आज मंटुआ एतना खुश है की का कहें.मने खिड़की पर मेहनत  करना कामयाब हो गया.
उधर पिंकिया का गोड़ जमीने पर नहीं पड़ रहा है.अरे 7 वां के घ की जगह ख लिख दिया था तबो.हिंदी में पूरे 80 नम्बर आये हैं..भले अंग्रेजी में अपने माई बाबूजी और गाँव का पूरा नाम लिखने नहीं आये लेकिन अंग्रेजी में 78 नम्बर हैं.आ काहें न आये 78 नम्बर ? आई लव यू मंटू लिखना उसको एकदम सही सही आता है..बुझे न आप लोग.

जय हो अकलेस जादो.जय हो मोलायम सींग.जय हो जोगी जी,जय हो डीह बाबा आ जय हो काली माई.आज मनसा पूरन हुआ पिंकिया का। जहिया मंटुआ मिल गया मातादीन रा के टिबुल पर.पिंकिया उसको एतना प्यार करेगी कि जेठ के घामा में बुनी पड़ने लगेगा।

हेने चनमनवा तो आज नाच रहा है.साला एग्जाम के दू दिन पहिले निरहुआ वाला फिलिम देख रहा था लेकिन उसका आज 70% से ऊपर आया है इ तो उसने सपनों में भी नही सोचा था.

लेकिन पसेरी के भाव में 80% और 75% देखकर हमारा मनवे दूकइसन हो गया है.”जा रे जमाना…” कहाँ से कहाँ आ गया।सुबह से काली माई डीह बाबा और बरम बाबा को गोहरा रहे गार्जियन भी अपने औलादों की इस तथाकथित सफलता पर खुश होंगे..बलिया के छेड़ी और नगरा भीमपुरा में 2500 सुबिधा शुल्क देकर 80% लाये लौंडे भी कहीं इतरा ही रहे होंगे.सबको मन भर बधाई। सबके अच्छे नम्बर आएं हैं.इतने मेधावी लोग कहाँ जाएंगे यही सोच रहा हूँ…मोदी जी के “मेक इन इंडिया” अभियान की सफलता पर संदेह नहीं मुझे 

इधर यूपी में सीरी अकलेस भाई आगामी चुनाव के मद्देनज़र समाजवादी लैपटाप योजना की बैठक करेंगे.थोक वोट का सवाल है। भले लैपटाप लेकर कोई बबलुआ बैयासी ढाला पर हऊ वाला फिलिम डाउनलोड करने की दूकान खोल दे लेकिन अब लैपटाप उसे मिलकर रहेगा। उसके इंटर में 80% जो है ।

खैर एक समय था कि गाँव में सत्यप्रकाश और परमात्मा जैसे लड़के ही मुश्किल से फर्स्ट डीवीजन आते थे.प्रमोद और राकेश ठेल ठाल के सेकेण्ड डिवीजन.

पिंटू झनमनवा तो बेचारे कुंडली में ही फेल लिखवाकर आये थे.दस में दस बार फेल होने के रिकार्ड आज भी है।
फर्स्ट क्लास वालों का भौकाल टाइट था.जवार भर में शोर…”अरे फलाना पांडे के लइका फर्स्ट क्लास आइल बा”.मल्लब की भौकाल टाइट तो फ्यूचर ब्राइट.

बिहान से सत्यप्रकाश के दुआर तिलकहरु चार काठा कोड़ कर खाल कर देते थे.’बियाह होखो अब’। उनके बाबू जी भी नधीया जाते थे..”नाहीं साइकिल के संगे रेडियो भी चाहीये..ना त बियाह नही होगा”.अगुआ खइनी थूककर कहता की “अरे hmt के घड़ीओ दिआई पांडे जी बियाह करीये..लइकी हीरा ह हीरा.चिंता मत करीं.पहीले हरदी छुआ के लइका के नाव दिजिये…।”

ल इहे इधर सत्यप्रकास जी गील.सब न्यूटन और आर्कमिडीज के सिद्धांत बियाह का नाम सुनकर ही भूल जाते थे.रात भर लालटेन जलाकर याद किये गए वो गणित के सूत्र,कामसूत्र के आगे फ़ीके लगने लगते थे
मनवा हुलसता था.अब बियाह होगा बाजा बजेगा कनिया आएगी.हाय। उनके मन में सिकन्दरपुर वाली गुलबशकरी घुलने लगती।

लेकिन हाय रे भाग्य..बहुते फर्स्ट क्लास सत्यप्रकाश बियाह करने के बाद बी ए में फेल हो जाते थे.फिर उहे दहेज वाली रेडियो सांझ को बजाते और आपकी फरमाइश पर दिलवाले,और तिरंगा का गाना सुनते हुए,गाई-बैल को भूसा लेहना देते थे।

फिर फर्स्ट डिविजन से भूसा का अनैतिक सम्बन्ध बन जाता था.

धीरे-धीरे डिग्री भूसा हो जाती थी।

आज भी सोचता हूँ कि ये 80% पाने वाले 85% लौंडों की ये डिग्रियां भूसा ही हैं।इनका ज्ञान और विवेक से कोई सम्बन्ध नहीं है।

हमारी वर्तमान शिक्षा पद्धति जब तक परसेंटेज डिग्री और नोकरी से ज्यादा ज्ञान और विवेक पर जोर नहीं देती तब तक इस UP BOARD के  80 और 85% RESULTS का कोई मोल नहीं.इससे नौकरी लग सकती है..आदमी,आदमी नहीं बन सकता।

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संगीत का छात्र,कलाकार ! लेकिन साहित्य,दर्शन में गहरी रूचि और सोशल मीडिया के साथ ने कब लेखक बना दिया पता न चला। लिखना मेरे लिए खुद से मिलने की कोशिश भर है। पहला उपन्यास चाँदपुर की चंदा बेस्टसेलर रहा है, जिसे साहित्य अकादमी ने युवा पुरस्कार दिया है। उपन्यास Amazon और flipkart पर उपलब्ध है. फ़िलहाल मुम्बई में फ़िल्मों के लिए लेखन।