एक दिन का हुआ कि ललन बो लौकी का बिया लगाइं ..पानी देके ,देखभाल कर पाल पोस के बड़ा कीं…पौधा बड़ा हुआ और पसरते पसरते कुछ दिन बाद खेदन बो के छप्पर पर चला गया.किसी दिन संयोग से खेदन रानीगंज बाजार से सब्जी लाना भूल गए.अब क्या होगा.का बनेगा ?बरियार चिंता.खेदन बो भौजी फायर. बिहान आँख मलते हुये उठीं..तो उनके छप्पर पर
हरियर हरियर लउकी.देख के गुस्सा भी ठंडा हो गया…बस क्या था .. धीरे से लउकी काटीं आ पहंसुल से छीलकर सब्जी तैयार खेदन भी उस दिन खाकर अघा गए…”वाह रे हमार मेहरारू..”.ललन बो से बगल वाली रमेसर बो ने कह दिया…”अरे लउकी लगवले बाड़ू त तनी ध्यान दिहल करा.”.
फिर तो साहेब बूझिये की ललन बो तमतमाकर खेदन बो के इहाँ पहुँची… आ दस गारी देकर पूछ दिया कि “बड़ा सवख बा लौकी के त काहे ना लगा लेहले रे”.बस इत्ती सी बात और खेदन और ललन बो में झगड़ा शुरू….मल्लब की दस रुपया के लौकी के लिये पांच मिनट में दोनों के खानदान का इतिहास,भूगोल,नागरिक शास्त्र सहित जन्मकुंडली और चरित्र प्रमाण पत्र की छाया प्रति टोले भर के सामने हाजिर.
देखते-देखते ऐसे रहस्य उजागर होने लगे कि जिसको पता लगाने को यदि आईबी, सीबीआई को नियुक्त किया गया होता तो वो कभी का क्लोजर रिपोर्ट लगाकर कुम्भ नहाने नासिक चले गए होते.जब देखते कि भयंकर बमबारी दोनों तरफ से जारी है.गाली शास्त्र और आरोप शास्त्र के साथ रहस्य उदघाटन का तड़का दिया जा रहा तो उनके कान खड़े हो जाते.तब समझ में आता कि एक बार इन्द्राणी केस को सुलझाया जा सकता है पर ललन आ खेदन बो के झगड़ा को नहीं.
मने अभी ललन बो पानी पीकर खेदन बो का इतिहास बांच ही रहीं हैं “तें रे हर्र$***बड़की सत्ती सब्बीतरी बनत बाड़े.तब तक खेदन बो अपना इसरो निर्मित मिसाइल निकालकर धायं से मारतीं है…”चल चल$$… ते त नइहरे के छीना**हवे रे”ललन बो काहें चुप रहने जाएँ…उनके करेक्टर सार्टिफिकेट की इतनी बेइज्जती….उहो कह देतीं हैं कि…”केदार रा के टिबुलवा प रे रँ** कवना भतार के लेके…सुतल रहले रे..हर्रजा$**..पूरा जवार जानत बा”…बड़का सत्ती माई बनत बाड़ी…अरे हम तहरा खानदान के नस नस जानत बानीं.
लिजिये साहेब.इसी महाभारत में रस परिवर्तन करते हुए किसी पिंटूआ ने एक ढेला ललन बो के घर में फ़ेंक दिया.संजोग से उ ढेला जाकर ललन के मझली बेटी पिंकिया को लग गया..उ रोने लगी.ललन घर से लाठी निकाले तब तक बगल बाले चनेसर ललकार कहे कि…”मार मार मार सारे के.”ललन जाकर खेदन को चार लाठी..खेदन के कपार से खून.खेदन का भाई भी बड़का तिरछोल.भूसा में से ‘मेड इन सीवान जिला’ वाला देसीलवा कट्टा निकाला.और चार फायर.गाँव भर में हड़कम्प.एक लौकी के लिए पुलिस कचहरी मुकदमा.देखते देखते आईपीसी को सारी प्रतिष्ठित धारायें दोनों पक्षों पर लग गयीं.
अभी 5 साल से मुकदमा चल ही रहा है.ललन और खेदन एक दूसरे को देखते तक नही.. दोनों पक्षों के कई लोग आज तक फूटी आँखों एक दूसरे को नहीं सुहाते। बाकी कल ललन बो भौजी तिलेसर बो गोड़िन इहाँ..भूजा भूजवाने गयीं..खेदन बो को एक नेक सलाह दी..”ए भइया बो…अरे जन धन योजना में खाता खोलवा ल हो…मोदी जी बड़ा नीमन योजना ले आइल बानी…जीवन बीमा भी होत बा..आ उहो बारहे रुपया में..”अब हमनीयो के पइसा जमा कइल जाई.
ये मंजर आप देखे होंगे या देखेंगे तो हंसेंगे..मैं भी हंसता हूँ…उस विद्वान पर ज्यादा जिसने कभी कहा था कि “गंवारों के समूह को गाँव कहते हैं” हाँ लेकिन आज तक गाँव के हुए खानदानी झगड़ों के तह में आप जाएंगे तो आपको ऐसे ही छोटे छोटे मामले मिलेंगे…सरसों तोड़ने के लिए..आलू उखाड़ने के लिए..नाली आ थोड़ी सी जमीन के लिए…लोग सालों से आज तक लड़ रहे हैं..न जाने कितनी पीढियां चली गयीं…कई जगह ललन आ खेदन बो तक मर गयीं..लेकिन आजतक मुकदमा चल ही रहा है.
कई बार फेसबुक को देखकर यही गाँव के झगड़े याद आतें हैं…और बड़ा दुःख होता है..मेरे आदरणीय मित्रों.. झगड़े की जमीन पर हम फावड़ा चलायेंगे तो पायेंगे कि बात बहुत ही छोटी सी थी…बस किसी कमबख्त चनेसर आ दिनेसर ने चढ़ा बढ़ाकर भूसे का खम्बा बना दिया था…और लोग उस पर चढ़कर आज तक एक दूसरे को गरिया रहे हैं।।
आजकल फेसबुक पर झगड़ा और बहसों का बेहिसाब दौर चल रहा है….कई जगह मामला बड़ा संवेदनशील हो जा रहा है…कोई लालू मुलायम और नितीश के लिए लड़ रहा है कोई मोदी जी और ओवैसी के लिये..कोई गौ मांस पर सबको पाकिस्तान भेज रहा है…कोई डिजिटल इंडिया का मजाक बना रहा है.
मित्रो हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हैं..अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबको अधिकार है..आपको जैसे भाजपाई कांग्रेसी और सपाई हो जाने का पूरा हक है वैसे ही किसी को कम्यूनिस्ट और असली आम आदमी हो जाने का…. सब अपने अपने मन के राजा हैं।
सोचता हूँ..तमाम वैचारिक असहमति के बावजूद यहां social media पर प्रेम से रहा जा सकता क्या ? आप जिनके लिए यहाँ लड़ रहे हैं.उन्ही से कुछ सीख लिजिये.आप यहाँ दुश्मनी निभाते रहेंगे..और पता चलेगा..परसो फलाने जी फलाने जी के बेटी के शादी में आशीर्वाद देकर पांच इंच वाली स्माइल के साथ फ़ोटो खींचा रहें हैं..सो बचना जरूरी है.
यहां लौकी और आलू टाइप मामलों को लेकर गाली गलौज ब्लॉक और स्क्रीन शॉट .एकाऊंट डीएक्टिवेट तक मत चले जाइए।ललन आ खेदन मत बनिए…पता चला आप अभी तक मुकदमा लड़ रहे हैं और उधर ललन आ खेदन बो एक्के संगे गीत गा रही हैं..
हाँ पूर्वाग्रह से ग्रस्त लोगो से.. कुछ आईएसआई सर्टिफाइड कूपमण्डूकों से बचकर खूब बहस करिये..सारे ज्ववलंत मुद्दों पर सार्थक तर्कों के साथ लड़िये…..लेकिन ऐसा भी नही की फिर हम आप कभी किसी मोड़ पर मिलें तो आँखें न मिला पाएं..बकौल बशीर बद्र साब…
“दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हों, शर्मिंदा न हों.. ”