देश में असहिष्णुता बढ़ी हो या न बढ़ी हो लेकिन ठण्ड जरूर बढ़ गयी है…..सुबह नहाने से पहले दस मिनट पानी से पानीपत का युद्ध लड़ना पड़ता है…हीटर गीजर वाले क्या जाने कि पानी से लड़ने का भी अपना मजा है…
लड़ने से याद आया कि परधानी का चुनाव भी आज खतम हो गया….सारे प्रधान जी लोग बुरी तरह से लड़कर आश्वश्त हैं कि हमहीं जीतेंगे. और गाँव का विकास करते हुए सबसे पहले जवन पइसा लगाएं हैं मुर्गा दारु में उसको निकालेंगे। कई परधान जी लोग तो परधान बनने के चक्कर में अपना रहर वाला खेत तक बेच दियें हैं….भोजपुरी के गायक इस बढ़ती असहिष्णुता से दुखी हैं…”हाय रे चुनाव..जो रे तोर माटी लागो….”परधनवा के रहर” तक बेचवा दिया।।
बेचने से याद आया कि परसो मेरे सखा झा जी अपने चरित्रवान कि उपाधि को बेचकर अपनी पहली गर्लफ्रेंड कि शादी में शरीक होने के लिए दरभंगा रवाना हुए हैं..सब बनारसी लौंडे झा जी के इस हृदय परिवर्तन से घोर आश्चर्य में हैं….
हाँ शादी से याद आया कि आजकल शादी ब्याह भी जोर शोर से चल रहा है…रोज नेवता आ रोज पूड़ी के कारण मेरे कई मित्रों का लीवर भी असहिष्णु हो गया है..कल मेरे करेजा छाप संघतिया संटुआ का भी बियाह हो गया..रधिका जी जैसी मेहरारू भी आ गयी..संटुआ की एक कटाह साली है..जो ढोलक बजाकर खूब गीत गा रही थी…
“जीजा जी के बहिना छी*र……
हमारे झा जी जैसे लौंडे इस साली को देखकर हंस रहे थे और इस गारी मतलब एक दूसरे को समझा रहे थे….हमने झा जी को बताया कि “देखो बाबू झा..गारी तो सुन लिए अब पइसा भी देना पड़ेगा….झा जी आश्चर्य भाव से कहे…”काहें भाई…गारी भी सुनो और पइसा भी दो.इ तो घोर असहिष्णुता हो गवा”….हम उनको समझाइस दिए “देखो झा..इ हमारे यहाँ का ये रिवाज है..गाली खाकर पैसा देने पड़ता है.”….इस बात पर भट्टाचार्या जी और जोशी जी रसगुल्ला जैसा मुंह बनाकर हंसे..मानों साली पर दिल ही आ गया हो…
खैर सकुशल शादी सम्पन्न हुई।
भौजी आज घर आ गईं हैं।
गंगा जी तर शाम को शहनाई बजा है…”.गंगा के पानी जइसे रहे जिंदगानी” वाला लोक गीत गाकर…ककन छुड़ाया गया है..दुलहा दुलहिन का गोड़ हजामिन चाची ने रंगते हुए कहा है….”बहू लाखों में एक है” उस दिल्ली वाली बहू से भी सुंदर.”…..
लिजिये..दिल्ली से मुझे केजरी सर याद आतें हैं…सुना है कि उनके लोकपाल के अंदर मौसम विभाग और देवराज इंद्र भी हैं.यहाँ तक कि अरुण वरुण यम भी…मने जुलाई में देवराज इंद्र सर जी से एक बार फोन करके पूछेंगे ” सर जी आज बारिष कर दें एनसीआर की तरफ?…सर जी एक बार खाँस दिए तो देवराज इंद्र समझ जायेंगे कि सर जी मना कर रहें हैं…..
इतना सशक्त लोकपाल है सर जी का कि हाल ही में इवेन आड के चक्कर में सर जी ने अपने सभी विधायकों को ये आदेश दिया है कि वो अपने चार गुना हुए तनख्वाह से “केजरीवाल ट्रांसपोर्ट” का संचालन करें…और दिल्ली कि जनता को सम विषम कि परिभाषा बतायें और आम आदमी का परिचय देते हुए सबकी सेवा करें…नहीं तो अगले साल तनख्वाह नहीं बढ़ाया जाएगा। …सभी विधायक इस धमकी से डर गए हैं….उनका दिल सोनिया और दिमाग स्वामी हुआ जा रहा है
हाँ तो सोनिया से मुझे राहुल गांधी कि याद आती है…. अपने सास को याद करके अपने बहूत्व पर गर्व करने वाली माता सोनिया जी भी आजकल सोच रहीं कि कब उनका ये पप्पू बड़ा होगा…कब वो सासू माँ बनेंगी..कब उनकी बहू संसद में भाषण देते हुए सबको समझाएगी कि..”.मैं सोनिया जी कि बहू हूँ…किसी से नहीं डरती”..किसी से नहीं….डरते ती मुझसे राहुल गांधी हैं।
डर से याद आया कि रामगोपाल वर्मा राहुल गांधी कि जीवनी पर एक फ़िल्म बना रहें हैं…जिसका नाम होगा….
“धूम पप्पू धूम तेरी हेट स्टोरी 10”