रोजा नहीं रखता मगर इफ्तारी समझता है

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एक परिचित नेता जी कल दिखे..पता नहीं क्यों उनको देखते ही मेरा दिल दिल्ली और दिमाग केजरीवाल होने लगता है….कहने को समाजवादी हैं बेचारे और क्रांतिकारी भी…लेकिन अपनी बेटी कि शादी कुंडली मिलान के बाद मात्र इसलिए कैंसिल कर दिए कि वो ग्रह मैत्री नहीं थी…आहत होकर उनकी क्रांतिकारी बेटी ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया और अपने पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले सहपाठी से कोर्ट मैरिज कर ,उन्हें समाजवाद से सीधा साक्षात्कार करा दिया….तबसे उनकी क्रान्ति हवा हो गयी।। विरोधी बहुत क्रांतिकारी बहुत क्रांतिकारी कहकर खूब मजा लेतें हैं….अब थोड़ा थोड़ा उदास रहतें हैं..चिंता में उनकी दाढ़ी बढ़ गयी है…”.इ का हुआ जगहंसाई ..                                                                                                            
लेकिन आप हम क्या करेंगे ?.क्रान्ति की नियति यही है…घर से बाहर ही ज्यादा सफल होती है।
खैर इधर चुनाव आने को है ।
उनका आत्मविश्वास बढ़ा है…उम्मीद की नई मोमबत्ती समाजवाद के आलोक में जल रही है… झक झक सफेदी ओढ़े पजेरो पर विराजमान हैं. गाडी में बैठे बैठे पान की चार मीटर लम्बी पीक मारकर मोदी जी के स्वच्छ भारत अभियान को चिढ़ातें हैं।. प्रभावशाली व्यक्तित्व है उनका ..उनके मुलायम चेहरे से तेज कम समाजवाद ज्यादा झांकता है… हर वक्त ऐसे हंसते हैं मानो हंसने में कोई शार्ट टर्म कोर्स किया हो..
क्रांतिकारी के साथ थोड़े सेक्यूलर भी हैं…होना स्वभाविक है.चुनाव कपार पर है..वर्ग विशेष का पवित्र महीना चल रहा है….इसलिए थोड़े से काम नहीं चलने वाला, ज्यादा होने का आदेश लखनऊ से आ गया है…अब ज्यादा और प्योर होना उनकी मजबूरी है.. सो धर्म विशेष की टोपी लगाएं हैं..डायरी में सारा डिटेल है ..कौन सी मस्जिद में कब कब कहाँ कहाँ नमाज होनी है…कब कब कहाँ मिलकर सबको गले लगाना है और भाई चारे का समाजवादी सन्देश देना है…  
तीस पर कल योग दिवस के विरोध में प्रेस वार्ता भी करनी है और विरोध में एक भाषण भी तो देना है…मने बहुते लोड है उन पर। किसी अस्सी घाट के विद्वान ने उनको बताया है की योग दर्शन के जनक नरेंद्र मोदी हैं. जिन्होंने आज से दो हजार साल पहले गुजरात में इसका खोज किया था….
पतंजलि तो बाबा रामदेव के मामा का नाम है….                                                                                 
उनका ये भी मानना है कि समाजवाद के जनक मन से मोलायम जी हैं….लोहिया जेपी तो सिर्फ दीवालों और पार्कों में अच्छे लगतें हैं…
अभी समाजवाद के नानी का गाँव बिहार है…लालू बड़े मामा और छोटे मामा का नाम नितीश कुमार हैं…नाना का नाम सीरी शरद यादव है जो नानी से अक्सर रूठे रहतें हैं।।
ओह…..फिलहाल भर शहर में इफ्तार कहाँ कहाँ करना है उसका खाका बना रहें हैं।                                
हम ये सोचकर ख़ाक हुए जा रहें हैं कि…हाय बिजली के दाम उत्तर प्रदेश में सत्रह पर्सेट बढ़ गए…और नेता जी को कोई गम नहीं…इनको इस दिखावटी और झूठे सेक्युलरिज्म की पड़ी है….वैसे बिजली भी तो नहीं है गम क्या ख़ाक होगा।
आज सोच रहा था..राजनीति को राजनीति विज्ञान कहना उच्चस्तरीय सूतियापा का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है…… विज्ञान पहले होगा ये तो एक विशुद्ध कला है…और अब कलाबाजी है।
कालेज और यूनिवर्सिटी में अब डिग्री डिप्लोमा इन पॉलिटिकल साइंस नहीं पॉलिटिकल आर्ट पढ़ाया जाना चाहिए…
राहत इंदौरी साहब याद आ रहें हैं….

सियासत में जरूरी है रवादारी समझता है
वो रोजा नहीं रखता मगर इफ्तारी समझता है।

कार्टून साभार-मनोज कुरील जी।

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