ए भौजी…गैस कनेक्शन लेबू हो..?

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रिकार्ड तोड़ गर्मी है..शहर से लेकर देहात तक..आदमी से लेकर पशु-पक्षी और  बिजली से लेकर पानी तक का हाल बेहाल है.देखिये न पन्द्रह दिन पहले शाम को खेदन बो भौजी चूल्हा झोंककर बबुआ का टिफिन बना रही थीं..बाप रे! केतना गर्मी..लग रहा था की आग में जल ही जाएंगी…
रोटी बेलते हुये भौजी की चूड़ियां खन-खन बज रहीं थीं और धुआं के कारण आँखों पानी निकल रहा था..
पसीने से चेहरा लाल..कभी रोटी पलटतीं तो कभी पंखा से हवा करतीं..

आज से दू महीना पहिले खेदन नवेडा से हरियर चूड़ी लाये थे…एक एक करके सब खाना बनाते,बर्तन माँजते टूट गया..बाकी का कहें..खेदन दू दिन रहे  भी नहीं की होली बिहान  नवेडा चले गये…ओह! जाते टाइम भौजी रो रोकर रोक रहीं थीं..”ए जी गेंहू का  दँवरी करवाके जाइयेगा न…हम पूजवा के बियाह में तनिक नइहर नहीं जाएंगे..आपके इस नोकरी के चलते केतना साध आ सवख को मारना पड़ता है..”
लेकिन खेदन काहें मानने जाएँ..झोला-झंडा उठाकर चल दिये..मजबूरी भी तो था.. नहीं  कमाएंगे  तो एक महीना बाद सन्टुआ का स्कूल में एडमिशन करवाना है.. 5 हजार तो आराम से लगेगा..कहाँ से आयेगा..
फेर दू महीना बाद बरसात आयेगा..पलान छवाना पड़ेगा..उसका खर्चा कहाँ से आएगा..?
अभी तो 2 हजार एडमिशन फीस  अउर 2 हजार में कॉपी किताब आयेगा..1 हजार में ड्रेस.
कोई बता रहा था कि स्कूले में ही  तेरह किसिम का डरेस आ सब कॉपी किताब मिलेगा..

बाप रे! भौजी इ स्कूलन के नखड़ा से माथा ठोक लेतीं हैं..
उनके समय में तो पटरी आ भाठा लेकर स्कूल जाना पड़ता था. 2 हजार का नोट देखने में बीस साल लग गये..

भौजी चूल्हा झोंकते हुये यही सब सोच रही हैं..’आग ना लागो इस सब प्राइवेट स्कूल के..हर साल एडमिशन फीस..
अरे जब लड़का उसी स्कूल में पढ़ रहा है आज दू साल से, तो कइसा एडमिशन फीस…?
लेकिन सब पढ़ाई के नाम पर लूट रहे प्राइवेट स्कूल वाले..
बताइये अगर एडमिशन फीस नहीं लेते सब तो आज गैस कनेक्शन मिल गया होता न…?
एह गर्मी में चूल्हा में नहीं मरना पड़ता न..?
खेदन कह रहे थे कि “कनेक्शन ले लो..हम वहां ओभर टाइम कर लेंगे”…लेकिन भौजी नहीं मानीं..और खेदन का  हाथ पकड़  के कहा..
हम भले चूल्हे पर खाना बना लेंगे लेकिन आपको ओभर टाइम नहीं करने देंगे..अपने देह का दशा देख रहे हैं..
का हाल हुआ है..अबे जवानी में बुढ़ापा आ रहा है…”
खेदन चुप हो गये।

भौजी भी का करें…बार-बार अफ़सोस  करके रह जाती हैं..मन में आता है कि कान में का झुमका सोनार इहाँ रखकर गैस कनेक्शन ले लें…
लेकिन हिम्मत नहीं होता…माई ने पाई-पाई जोड़कर बनवाया था…उसे ही गिरवी रख दें?
ना ना..इ सब नही होगा…
भौजी को  भले थोड़ा कष्ट हो जाये लेकिन अब  बबुआ को पढ़ाना  तो नहीँ छोड़ेंगी..न ही खेदन को नवेडा में ओभर टाइम  करने देंगी.

इधर दस दिन पहिले पता चला..गाँव में गैस एजेंसी वाला आया..और दरवाजा पर बोल गया..
ए भौजी….GAS CONNECTION  लेबू हो”?
भौजी पल्लू निकाल के बाहर निकलीं..
आ धीरे से कहीं..’ उ नवेडा हैं..

गांव के परधान जोगिन्दर कहे..
“अरे ए भौजी..भइया का कोई काम नहीं…आप का देवर है न.. हई गैस कनेक्शन मोदी जी वाला उज्जवला योजना में फिरी में मिल रहा है…1 मई को मालदेपुर  चलना है..तैयार रहियेगा..
आपका नाम दे दिया गया..

आह! भौजी को अपने कान और आँख पर यकीन नही हो रहा था..
बस आज तक गैस चूल्हे का सपना ही देख रहीं थीं..सपना सच होने की कोई उम्मीद न थी.
जब-तब खेदन कहते..”बबुआ पढ़ लिख जायेगा तो एसी गाड़ी में घुमायेगा..उसमें एकदम ठण्डा रहता है..
जब पड़ोस की बिमला फुआ आकर बताई कि “ई गवरमिंट का योजना है रे खेदन बो..मोदी जी दे रहे हैं….तब जाकर भौजी को विश्वास हुआ।

उस दिन से भौजी एतना खुश हैं की का कहल जाए..रोज घर साफ़ करती हैं…बीस बार सोचती हैं..चूल्हा आयेगा तो कहाँ रखायेगा..कोने में जगह बनाती हैं…
उस पर पहले खीर बनेगा की पूड़ी तरकारी….डीह बाबा काली माई को चढ़ेगा.की महाबीर जी को..
रोज बक्सा से साड़ी निकालती हैं..
अलता से गोड़ रंग ली हैं..नेलपॉलिश से नाख़ून…अब जहाँ जिला-जवार की मेहरारू आ रही हैं..उहाँ अइसे कइसे  चली जाएँगी..खेदन की  बेइज्जती नहीं हो जायेगी?
1 मई को यही छिट वाला नारंगी साड़ी आ लमहरकी बिंदी पहनके के मोदी जी को देखने जायेंगी.

PM UJJALA YOJNA

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आज जब मोदी बोल रहे थे…तब रोज- रोज  धुंआ में जलकर आंसू बहाने  वाली  न जाने कितनी खेदन बो भौजी और चाची की आँखों से आंसू निकल रहा था.
अभी अभी बनारस से भौजी के भाई तिलेसरा ने फोन किया है…
“ए  दीदीया..अब हम तोहरे यहाँ बैटरी वाला रेक्शा से आयेंगे..
देख न आज पैडल वाला रिक्शा मोदी जी लेकर चले गए…
उसके जगह नया बैटरी वाला रिक्शा मिला है रे दीदीया…1 हजार रिक्शा वाला को आज नया जीवन मिल गया..अब धूप में जलना नहीं पड़ेगा..हमहू रोज 5 सौ कमाएंगे..आ तोहसे सावन में राखी बंधवाने आयेंगे।
भौजी अभी मालदेपुर से आई हैं..मारे ख़ुशी के न जाने कितने  आंसू सुख गये।

क्योंकि कभी-कभी खुशियाँ बताकर नहीं आतीं..

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