सम्पूर्णआनंद अर्धसालाना Exam
- परीक्षार्थी – फोंकन सिंग ‘बलमुआ’
- कक्षा – तेरह
- विषय – वासना
- मुख्य विषय – पाडिकॅल साइंस
- रोल नम्बर – नव दू एगारह
- विद्यालय – आदर्श अरहरिया इंटर कालेज ग्राम बेकहलपुर सिटी पोस्ट दुकवनपुर हाल्ट जनपद बलिया.
प्रश्न – “दिल पे पत्थर रखके मुंह पे मेक अप कर लिया” इस परम लोकप्रिय गीत की विवेचना करके उस पर देर तक परकास डालें..Music Review के साथ सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक और दार्शनिक व्याख्या करने पर साढ़े सात नम्बर अतिरिक्त देने की बेवस्था की जाएगी.
उत्तर…सन्दर्भ – प्रस्तुत गीत को “ए दिल है मुश्किल” नामक एक सुंदर सी अश्लील फ़िल्म से लिहल गया गया है.इस गीत के कुकवि फलाना जी हैं.गीत ने आजकल लोकप्रियता के सारे खम्बे उखाड़कर उसमें चरस बो दिया है.प्रस्तुत गीत उस सुंदर सुशील,इठलाती,बलखाती चंचल सी कन्या पर फिल्माया गया है जिसके रुप लावण्य के आगे सम्पूर्ण भक्तिकाल भी रीतिकाल सा प्रतीत होता है.कहानी कुछ यूँ है कि नायिका को एक करीमना नामक अश्लील लौंडे से इश्क है.और करीमना को बगल वाली एन्जेल प्रिया के साथ-साथ पप्पू बो भौजी और फेसबुक वाली मन्जू आंटी भी लाइन देतीं हैं.
बस आजकल करिमना नायिका को छोड़कर एन्जेल प्रिया और पप्पू भौजी को सम्भालने के चक्कर में अरविन्द केजरीवाल हो गया है..इधर नायिका के दिल का हाल दिल्ली होकर विरह से फफाके जमीनी पर चू रहा है… धैर्य उचकर एटीएम और इश्क नोटबन्दी में तब्दील हो गया है.हाल ये है कि नायिका का विरह यदि आज जायसी सुन लेते तो “नागमती का विरह खण्ड” आलमारी में रखके रेवती स्टेशन पर पान,बीड़ी,कमला पसन्द की दूकान खोल लेते…नायिका आगे कहती है.
“अंग्रेजी चिड़िया की खातिर देसी दिल मेरा तोड़ दिया. मैनें छोड़ दिया..हाय ! छोड़ दिया”
उपरोक्त पंक्ति से स्पष्ट है कि नायिका एक चरित्रवान ब्वायफ़्रेंडव्रता लड़की है.और उसका करिमना के अलावा किसी और लौंडे से सेटिंग अभी नहीं हो सका है.
“उसकी काली करतूतों नें उसका भाँडा फोड़ दिया
“दिल पे पत्थर रखके मुंह पे मेकअप कर लिया.मेरे सैयाँ जी से आज मैनें ब्रेक अप कर लिया.” प्रस्तुत पंक्ति से स्पष्ट है कि नायिका को सौंदर्य प्रसाधन से अतिशय लगाव है…वो दिल टूटे या दुनिया छूटे इसकी परवाह किये बिना आज मेक अप करके अपने ब्रेक अप का जश्न मनाएगी.और सैयां जी मटिलग़नू को बता देगी कि वो सात जन्म तक प्यार करने वाली प्रेमिका नही हैं..कायदे से नही रहोगे तो सात मिनट भी निबाह नहीं होगा..
“सुबह सवेरे उठके मैनें ये सब कर लिया..”
प्रस्तुत पंक्ति से स्पष्ट है कि कन्या रोज सुबह उठकर सेल्फ़ी लेती है.लेकिन अफसोस आज उसने सेल्फ़ी न लेकर ब्रेक अप ले लिया…
“हमको बिन बताए तुनें ये कब कर लिया तेरे सैयां जी से काहें तुनें ब्रेक अप कर लिया”
इस पंक्ति में सुअस्पष्ट है कि नायिका के दीवानों में कुछ ठरकी लौंडे भी हैं..ये उस प्रजाति में आतें है जिन्हें शास्त्रों में कूल ड्यूड कहा गया है…ये इतने आशावादी होते हैं कि इन्हें शादी-शुदा और सगाई शुदा एंगेज कन्याओं में भी उम्मीद की एक लपलपाती किरण दिखाई देती है…ये हरमेसा इन भौजाईओं,आंटीओं के आगे पीछे,गली मोहल्ले,इनबॉक्स, कमेंट बॉक्स में दूम हिलाते पहुंच जातें हैं.
“कुछ दिन तो रोना धोना बम्पर किया”
प्रस्तुत पंक्ति बताती है कि नायिका उतनी ही हर्ट हुई है जितने की आजकल अखिलेश यादव चल रहें हैं.
“और फिर डिलीट उसका नम्बर किया..”
इस पंक्ति में साफ़ दिख रहा की नायिका के भीतर का समाजवाद अब जाग रहा है.
“आँशू जो सूखे सीधा पार्लर गयी।
यहाँ नायिका को दिल टूटके कोंहड़ा हो जाने का कोई अफसोस नही है..वुमेन एम्पावरमेंट की कसम वो इस इश्क का मोरब्बा बनाके सुबह शाम खाएगी लेकिन कभी भी किसी हालात में मेक अप करना नहीं छोड़ेगी.
“पार्लर में जाके शैम्पू जमकर किया.”
स्पष्ट है की कन्या को स्नान करके Buty Parlour गए बहुत दिन हो गए हैं..क्योंकि उसका ब्रेक अप दिल्ली की उस जगह पर हुआ है जहाँ पानी की भारी किल्लत है..जहाँ नगरपालिका के पाइप में रोज पानी भले न आए लेकिन उसका सीएम दिन में चार बार फेसबुक पर लाइव आ जाता है…
“कालेज की सहेलियों से कैचअप कर लिया.जिनको मिलना था उनको What’s app कर दिया
नायिका कहती है कि करिमना ने उसे समय रहते ही जवान कर दिया था..गुड्डे-गुड़िया और रस्सी,खो-खो सहित पूरा बचपन छीन कर,किस्सी,मिस्सी,सोना,जानू डार्लिंग,स्वीटू, मेले छोना बाबू ने काना काया”…आदि शब्दों से रु-बरु करवा दिया था..वो अब इन शब्दों की पोटली में आग लगके अपने छुटपन की सहेलियों के पास जा रही है..
“लूक बेबी मुझे लगता है कि जो भी तूनें किया है वो वेरी-वेरी राइट है..”
इस पंक्ति में ये उद्धृत किया गया है कि नायिका के दीवानों की संख्या भाजपा के यूपी विधानसभा प्रत्याशियों की संख्या से कहीं ज्यादा है.. नोट – इस पंक्ति को एक बादशाह नामक फकीरनुमा फटे गायक ने गाया है जिसका संगीत नामक शब्द से सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चलता है…इस गायन शैली को ड्यूड पुराण में रैप कहा जाता है..इस शैली का प्रयोग गीत के बीच-बीच में शराब के चीखने की तरह प्रयोग किया जाता है …इस शैली में रैप गायक मुख्य गायक को गाली देता है..और श्रोतागण उस गाली पर ताली बजाके डांस करतें हैं..
“भूतकाल को भूल जा तू क्योंकि आने वाला तू फ्यूचर वेरी-वेरी ब्राइट है..”
स्पष्ट है कि इस लौंडे में यूपी समाजवाद की आत्मा घुस के नागिन डांस करते हुए ये बता रही है कि 5 साल हुआ वो भूल जाओ..आने वाला पांच साल एकदम्म चउचक रहेगा..
“मैं हूँ न बेबी साथ तेरे पार्टी-सार्टी होनी पूरी नाइट है माइंड न करना थोड़ा ज्यादा बोल दूँ क्योंकि बन्दा वेरी-वेरी राइट है..“
हाय ! यहाँ ये स्पष्ट प्रतीत होता है कि ये ठरकी लौंडा उस पहले वाले से भी महा अश्लील है..जिसकी नियत दिग्विजय सिंह और चरित्र एनडी तिवारी जैसी प्रतीत हो रही है…ये महान आध्यात्मिक गायक सीरी हनी सिंग के गाने “पार्टी यूँ ही चलेगी” पर रात भर नाचकर नायिका के साथ कुछ उंच-नींच करना चाहता है.
“उसे फोन मिला और गाली दे,फ़ोटो जला के कर दे राख.साले तेरी माँ की आँख….“
उपरोक्त पंक्ति हमें ये बता रही है कि संसार नश्वर है..तुम क्या लेकर आये थे जो तुम चिंता करते हो..न ये ब्वायफ्रेंड तुम्हारा है न ये कभी इश्क तुम्हारा था..उसे फोन मिलाओ और गाली देकर बता दो कि गाली देना सिर्फ लौंडो का जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है..अब वुमेन एम्पावरमेंट का जमाना है..
“कल्टी हुआ जो सैयां स्टुपीड तेरा जीवित हुआ है फिर से क्यूपिड तेरा..”
स्पष्ट है कि नायिका के पीछे पड़ने वालों में दो लौंडे हैं..जिनमें पहला वाला जरा सा कम अश्लील और ज्यादा सभ्य है..ये भाव उसी आत्मा के फटे हुए स्पीकर से आ रहे हैं जिसमें दीवानें नब्बे के दशक वाले तरीके से लड़की के दिल में जगह बनाने के चक्कर में सबसे पहले लड़की के भाई से दोस्ती करतें हैं..और लड़की के बाबूजी को दिन में तेरह बार प्रणाम करतें हैं..
बासी रिलेशनसिप का लेबल हटा दुनिया को तू है अवेलेबल हटा..
इन पंक्तियों में आशावाद की परकाष्ठा हिलोर मार रही है….स्पष्ट है कि हर सिंगल लड़की को देखते ही हर सिंगल लौंडे की आत्मा में एक कवि,एक दार्शनिक और एक चिकित्सक की आत्मा ऑटोमेटिक प्रवेश कर जाती है..
मेरे सोए अरमानों को वेक अप कर दिया।तेरे सैयां जी से काहें तुनें ब्रेक अप कर लिया.
यहां स्पष्ट है कि आदमी को जीवन में भले ही महबूबा से ब्रेक अप लेकर उसके बच्चे का मामा बनना पड़ जाए.. लेकिन उसे आजीवन उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिये…क्योंकि महा कवि ग़ालिब ने अपनी डायरी में ये शेर लिखकर कलम तोड़ दिया
ग़ालिब थोड़ा धीरज रखो,इयर फोन लगाय. न जाने महबूबा का,कब ब्रेक अप होई जाए
इन सभी पंक्तियों के ऊपर जब हम गहन तरीके से टार्च जलाते हैं तो पातें हैं कि नायिका और लार टपकाते दो अश्लील लौंडे उस शुद्ध,बुद्ध,चैतन्य की आध्यात्मिक अवस्था में पहुँच गए हैं..जहाँ भूत और भविष्य न होकर विशुद्ध वर्तमान शेष रह जाता है..जहाँ जीवन का प्रति पल जश्न है…जहाँ अपने बर्बाद होने का जश्न भी आबाद त रीके से मनाया जा सकता है.. इस परम प्रेरणादायी गीत की जितनी तारीफ़ की जाए कमें होगा..इस गीत से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें बीच-बीच में ब्रेक अप लेते रहना चाहिए.हर पल हर कन्डीशन में प्रसन्न रहना चाहिए..चाहें केजरीवाल की तरह बेवफा होना पड़े..या राहुल की तरह बेवकूफ..मुलायम की तरह कठोर होना पड़े या मोदी की तरह सख्त.और ममता की तरह नाजुक…या फिर अखिलेश की तरह मजबूर
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