मंटूआ का दूसरा लभ लेटर- ए पिंकी तहरा प्यार बिना

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19680
MANTUA-PINKIYA,MANTUA PINKIYA LOVE LETTER,LOVE LETTER IN HINDI

मेरी प्यारी पिंकी

मेरी दिलवा की लालटेन,करेजा के फोंफी.हमार सुगनी.जानते हैं तुम्हारा भी लभलाइटिस बढ़ गया होगा.
डीह बाबा काली माई के कसम,इ लेटर हम मोहब्बत के टावर पर नहीं बिजली के खम्भा पर चढ़के लिख रहे हैं.तुम तो जानती ही हो बुध के ही गाँव में आन्ही आया था.सब तार टूट गया.ट्रांसफार्मर पर आम का पेंड़ गिर गया.तार खातिर सौ-सौ रुपिया चन्दा भी दिया गया है.लेकिन आज तक कुछ नहीं बना.

तुमसे आठ दिन बात किये हो गया था..का करें। कुछ कहा नहीं रहा।लेकिन ठीक से रहना.वरना ए पिंकी.आँखि किरिया हमू रो देंगे।कभी कभी तो मनवा में एतना बेचैनी लेस रहा कि समझ में नहीं आ रहा कि कवन बरदास के गोली खाएं। साला पहिले मोबाइल में टावर का दिक्कत अब बिजली का समस्या.अरे बिजलीये नहीं रहेगा तो टावर कहाँ से पकड़ेगा.?गाँव में रहे वाला आदमी को केतना दिक्कत है इ शहर में रहने वाले लोग आ शहर में रहने वाली सरकार का जाने रे ?

अरे मन तो कर रहा है कि जाके बिजली बिभाग में आगी लगाके मोमबत्ती बार दें.तब हम सबका दुःख बुझाएगा.लेकिन रोज बिहाने इ उम्मीद रहता है की आज लाइन बन जायेगा.आज मोबाइल चार्ज हो जायेगा.आज अपना रानी से दिन भर बतिआयेंगे.खूब इलू इलू करेंगे.बाकी साँझ हो जाता है आ उम्मीद का दिया बुता के हिलू हिलू हो जाता है। रात होता है आ करेजवा कुहुक के सो जाता है।

जा रेसीरी अकलेस जादो..लैपटाप बांटने से पहिले तनी सा बिजली पर धियान दिए होते तो आज इ दिन नहीं देखना पड़ता न.अच्छा!वोट मांगने आइयेगा तो बतायेंगे। अरे रोज कमसे कम दू घण्टा तो बिजली आता था। उहो गायब।

आ ए पिंकी सुनों.हम सोमार के तुमको देखे थे,पम्मीया के संगे गप-गप गोलगप्पा खा रही थी.गुलाबी सूट में.आहा!.एकदम लॉलीपाप लग रही थी।मने एतना नीक न की का कहें.भले बिजली नही तो का हुआ,तुमको देखते हमरा दिलवा में हजार वाट का बलब जरने लगा। मन त किया की सनी देवला जइसन आके तुमको पकड़ लें आ हमू हाथ फैला के गाना गायें

“तू धरती पे चाहें जहाँ भी रहेगी
तुझे तेरी धड़कन से पहचान लूंगा”

बाकी हमार बाबूजी हमरा पियार के बड़का दुश्मन.गारी देने लगे.”हरे मंटुआ बेहुद्दा.गाय के भूसा दे.तबे से ताकत बिया आ तू ससुर घूमा तारे” साला सब सपना भूसा में मिल गया। मनवे उदास हो गया ।

सोच रहे थे काश तुमको अइसे ही देखते रहते..एकटक..आँखि के सोझा हमेशा रहती.आज पता है..भोरे फेर सपना देख रहे थे.हम मलेटरी में भर्ती हो गये हैं.आ हमारा तुम्हारा बियाह हो गया है…तुम मेरी कनिया बन गयी हो..भर हाथ चूड़ी.पाँव में पायल.आहा.जब चूड़ी बजता है अउर तुम्हारा पायल छन-छन करता है न तो मनवा हमारा एकदम निरहुआ हो जाता है।

देख रहे थे..तुम सुबह उठकर तुलसी जी को जल दे रही हो..माई बाबूजी का गोड़ लाग रही हो..आ सिलवट पर धनिया पीस रही हो न तो तुम्हारा चूड़ी खन खन बज रहा है.आय हाय! हम का कहें..हम सुनके उठ रहे हैं.तुम आके जगा रही हो.”ए बेबी के पापा उठिये न आठ बज गया..हमको तो रात भर सोने नही देते हैं आ अपने घर-दुआर बेच के सोते हैं.हमरा मनवा त करता है की तुमको करेजा से लगाके कहें..”आई लभ यू हमार धनिया ” बाकी माई मुँह पर पानी ना,हमरा सपना पर पानी डाल दी.”अरे बेहाया उठ जो रे…किताब कॉपी खोल के पढ़रे तनी.एकदम आवारा हो गइल बा।”

ओह! तबसे मनवे दूकइसन हो गया है।खेत में गये तो चार बोझा लेहना काटे.खरहर से दुआर बहारे.गाई,बाछा को धोए.बाबूजी के धोती में नील डालना था.मड़ई छवायेगा त पतलो काटना है.दुआर पर खूंटा गाड़ना है।
अरे बड़ी काम है.एही में तुम्हारा याद आने लगता है तो जीने का मन नहीं करता। जानती ही ही बात नही होता है तो कवनो काम करने में मनवे नहीं लगता है..खाली सपना आता है अउर दिनवे में अन्हार हो जाता है।

खैर जाने दो.आ सुनो एक बात..तनी पम्मिया संगे कम रहो तो..जानती नहीं उ कातना बड़ हरजाई है?…मीठ मीठ खाली बोलती ही है।बाकी बबलुआ,सन्तोषवा दुन्नु को ‘आई लभ यू राजा’ कहती है.पिंटूआ से रिचार्ज कराती है।आ होली के दू दिन बाद करिमना संगे मातादीन राई के टिबुल पर पकड़ाई थी.इ तो तुमको पता नहीं होगा.चरित्तर ठीक नहीं उसका। तुमको भी बदनाम कर देंगे सब। बच के रानी। जमाना तुम्हरी तरह मासूम नहीं। सबितवा ठीक है.उसके साथ रहा करो। आज से पम्मीया संगे देख लिए तो देख लेना बता दे रहे।बाकि खियाल रखना.बीए में नाव लिखवा लो.गृह बिज्ञान सही रहेगा।

बाकि जल्दिये मलेटरी में हम भर्ती होकर बियाह करेंगे न.ना त का पता तुम्हारे बाउजी कहियो जान जाएँ आ तुम्हारा बियाह कवनो मंगरुआ से कर दें।तो हम रो-रोकर मर जाएंगे.अरे हमको तुम्हारे बच्चे का पापा बनना है मामा नहीं। बुझी न? आज करिमना बैलगाड़ी से रेवती जा रहा..मोबाइल दिए हैं चार्ज करने को..साँझ को फोन करेंगे। आई लभ यू मेरी जान..खियाल रखना.एक शायरी याद आ रहल है.

ढिबरी में तेल नइखे ना खम्बा पर तार बा।
ए पिंकी तहरा प्यार बिना जिनिगी बेकार बा

तुम्हारे प्यार में हमेशा पागल
मंटू
चांदपुर दियर
रेवती बलिया।

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