प्रिय Airtel…………… देखो न आज हमारे तुम्हारे साथ को आठ साल हो गए. देखो..पता ही नहीं चला …मुझे याद है..तब मैं दस में पढ़ता था..घर से बलिया रहने लगा..कितने अनुनय बिनय मनवती के बाद पिता श्री ने मोबाइल खरीदा था. वो भी किसान क्रेडिट कार्ड के पैसे से..
कितना बरियार करेजा करना पड़ता है एक मध्यमवर्गीय पिता को…ओह! उस समय मेरे गाँव में गिने चुने मोबाइल थे…..पहली बार मोबाइल धारी हुआ था…एक स्वतंत्र ब्यक्तित्व बनने की छटपटाहट थी…लोग जब मेरा नाम अपनी कॉन्टेक्ट्स में सेव करते तो लगता मानों गिनीज बुक में मेरा नाम दर्ज किया जा रहा हो…उस बालावस्था में तुमने सिखाया की डिलीट और सेव किस चिड़िया का नाम है…आज आठ साल बाद ठीक से समझ में आया की….इमोशन को सेव न किया जाए..तो रिश्ते अपने आप डिलीट हो जातें हैं…
मैं जानता हूँ नेटवर्क के बीना मोबाइल वैसे ही है जैसे बिना आत्मा के शरीर…..कई लोगों ने कहा की क्या यार..अभी सबसे महंगा Airtel है…बदल क्यों नहीं देते..लेकिन नहीं…ये मुझसे न हो पायेगा .प्यार एक ही बार तो होता है. कैसे बदल दूँ….?
तुम हर सुख दुःख में मेरे साथ रहे..तब भी जब मेरे अपने देखकर रास्ता मोड़ लेते थे..कोई पूछने वाला नहीं था….जाड़ा गर्मी बरसात…नदी पहाड़ जंगल…याद करो…उत्तराखंड के पहाड़ो पर एक बार गाडी खराब हुई थी…तब ले दे के एक मैं ही बचा था जिसके मोबाइल में पूरा नेटवर्क था…राजस्थान के गाँबो में..तुम साथ थे…चेन्नई के ठीक पहले भी…झारखण्ड के नक्सली एरिया में भी….पंजाब के सुदूर देहात में…और याद नहीं कहाँ कहाँ..
इस आठ साल की अनवरत यात्रा में…तुमने कभी आजतक धोखा नहीं दिया….फिर आज यात्रा में हूँ.. भैंसारा के हजारो फिट ऊपर पहाड़ पर बैठकर ये स्टेट्स टाइप करते वक्त तुम पर बहुत प्यार आ रहा है….
आज खुद पर भी फख्र हो रहा है…मैंने तुम पर भरोसा करके जाना है की भरोसा भी कोई चीज है…..
आज दस हजार के फोन है कल पचास हजार का होगा तो भी तुम मेरे साथ रहोगे……I love you Airtel