ये दूर रहकर भी एक दूसरे के साथ खड़े होने का समय है।

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जिस आदेश में एक अफ़वाह के आधार पर लोग नमक इकट्ठा करनें लगें, जगह-जगह अनाज और सब्जियों की जमाखोरी होने लगे,वहाँ कुछ लोग चाहते थे कि प्रधानमंत्री नें टीवी पर आकर देश को बंद कर देने का एलान क्यों नहीं कर दिया।

एक झटके में कोई जादू की छड़ी क्यों नहीं चला दी जिससे इतने बड़े और विशाल देश में सब कुछ ठीक हो जाए।

मुझे कई बार लगता है कि देश कोरोना की चुनौतियों से एक बार में निपट सकता है लेकिन इस उत्तम कोटि के महानुभावों से निपटना वाकई कठिन काम है।

कोरोना के लिये वैक्सीन बन सकता है लेकिन इनके लिए वैक्सीन भगवान भी नहीं बना सकतें हैं।

ये सनातन निंदक चाहतें हैं कि जिस भीड़ से बचने की सलाह दी जा रही है वही काम होने लगे..कल से सब्जी, राशन की दुकानों पर लोग जमाखोरी करनें लगें और देखते ही देखते भगदड़ मच जाए।

मैं हैरान हूँ कि शबाना आजमी से लेकर बरखा दत्त और शेहला राशिद से लेकर सरकार के बड़े-बड़े आलोचकों नें भी कल पीएम के भाषण का समर्थन किया है।

लेकिन ये उत्तम कोटि का बौद्धिक चरस फूँकने वाले कौन लोग हैं..ये अब तक कहाँ थे और ये कहाँ से आतें हैं ? जो अभी भी सीजनल फूफ़ाओं की तरह मुँह फुलाए बैठें हैं ?

जबकि पीएम ने कहा,”मैं देशवासियों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूं कि देश में दूध,खाने-पीने
का सामान, दवाइयां,जीवन के लिए ज़रूरी ऐसी आवश्यक चीज़ों की कमी ना हो इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।

कल रामविलास पासवान का ट्वीट भी था कि राशन की दुकानों से छह महीने का राशन देने की व्यवस्था की जा रही है।

भविष्य में आर्थिक दिक्क़तों की चिंता स्वभाविक ही है, इस पर पीएम नें कहा कि एक कोविड-19-Economic Response Task Force के गठन का फैसला लिया है।

ये टास्क फोर्स, ये भी सुनिश्चित करेगी कि आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए जितने भी कदम उठाए जाएं, उन पर प्रभावी रूप से अमल हो।

इसके अलावा पीएम ने बड़े-बड़े लोगों को सलाह भी दिया है कि अपने कर्मचारियों का वेतन न काटें।

अस्पताल में अनावश्यक भीड़ न लगाएं। पैंसठ साल से जो ऊपर हैं,वो घर में ही रहें।

सब मिलाकर प्रधानमंत्री का सम्बोधन एक जिम्मेदार और संवेदनशील अभिभावक का सम्बोधन था.. लेकिन अफ़सोस कि कुछ लोगों को सिर्फ़ थाली और घण्टी ही सुनाई दिया…

कल मुझे लगा कि इनका दोष नहीं है…अति निंदा और अति भक्ति का वायरस कोरोना से भी बड़ा वायरस है जिसका कोई इलाज़ नही हो सकता है।

इनको कौन समझाए कि मेरे भाई आगे राजनीति करने और विरोध करने का समय ख़ूब मिलेगा।
भाषण में मेन-मीख निकालने का समय भी खूब आएगा..

लेकिन कब ?

जब जान बचेगी तब न रे भाई ?

कोरोना पूछनें थोड़े आएगा कि आप हिन्दू हैं कि मुसलमान हैं…कम्युनिस्ट हैं कि राष्ट्रवादी हैं।

इसलिए लोगों के डर को अपने एजेंडे के लिये भुनाने वालों से सावधान रहें…पैनिक होने से बचें।

ये वही लोग हैं जो राष्ट्र के रूप में एक होती सामूहिक चेतना से डरतें हैं।

लेकिन हमें इनकी परवाह नहीं करनी है।

हमें बाइस तारीख़ को आभार प्रगट करना है खेतों में लड़ रहे किसान का..सीमा पर खड़े,चौराहे पर खड़े जवान का…सफाई कर्मचारी,सब्जी वाले,ठेले खोमचे,दूध वाले का..एक-एक डॉक्टर और एक-एक नर्स का। एक-एक अधिकारी और एक-एक प्रशासक का।

इन सबको बताना है कि आज इस संवेदनशील समय में आप हमारे सबसे बड़े हीरो हैं।

इनको बताना है कि हम आपके कृतज्ञ हैं। आप हैं तो हम एक दिन क्या जरुरत पड़ने पर एक महिने का जनता कर्फ़्यू कर सकतें हैं।

आप हैं तो हम बचे रहेंगे।

और बचे रहेंगे तो आगे बौद्धिकता और ज्ञान दिखाने,समर्थन करनें और विरोध करनें का समय फिर आएगा।

ये समय नकारात्मक माहौल बनाने का समय नहीं है।ये तो अपने आस-पास सकारात्मक माहौल बनानें का समय है।

ये समय बांटनें और तोड़ने का समय नहीं है। ये तो एक दूसरे से दूर रहकर भी एक दूसरे के साथ खड़े होने का समय है।

जय हिंद 🙏

Atul kumar Rai

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संगीत का छात्र,कलाकार ! लेकिन साहित्य,दर्शन में गहरी रूचि और सोशल मीडिया के साथ ने कब लेखक बना दिया पता न चला। लिखना मेरे लिए खुद से मिलने की कोशिश भर है। पहला उपन्यास चाँदपुर की चंदा बेस्टसेलर रहा है, जिसे साहित्य अकादमी ने युवा पुरस्कार दिया है। उपन्यास Amazon और flipkart पर उपलब्ध है. फ़िलहाल मुम्बई में फ़िल्मों के लिए लेखन।