डियर विपक्ष…..भाजपा का विजय रथ सिर्फ इस तरह रुकेगा….

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डियर कांग्रेस,आप,सपा,बसपा,और अन्य…..

आपको बताऊं…भाजपा को हराना है तो सिर्फ ब्रांड मोदी से निपटना काफी नहीं है आपके लिए…आपको सबसे पहले तो एक आरएसएस जैसा मजबूत नींव तैयार करना पड़ेगा..बिना स्वार्थ के काम करने वाले ऐसे करोड़ों समर्पित स्वयंसेवक जो देश के आखिरी छोर पर वामपंथी आतंक के बाद भी सबसे ज्यादा शाखाएं यानी गुजरात से भी ज्यादा शाखाएं केरल में लगातें हैं..उस दुर्गम हालात में जहां हर बीसवें दिन एक कार्यकर्ता की  हत्या कम्युनिस्टों द्वारा कर दी जाती  हैं.

जबसे आरएसएस ने अपना गणवेश बदला है तबसे युवाओं का आकर्षण इस कदर बढ़ रहा कि बनारस में रामनवमी का पथसंचलन निकला तो इस बार सारे रिकॉर्ड टूट गए..देश के बाकी हिस्सों में भी यही हाल था.लेकिन आप ये नहीं कर पाएंगे..सैकड़ों साल लग जाएंगे..बड़ी मुश्किल है..इसलिए आरएसएस को छोड़िये.

 

आपको उससे पहले एक अमित शाह पैदा करना पड़ेगा.जो आज चार राज्यों में सरकार बनाने के बाद भी चैन से नहीं बैठा है..जिसने कल अपने साढ़े तीन लाख पूर्णकालिक कार्यकर्त्ताओं को बंगाल,उड़ीसा और आंध्र में भेज दिया है कि “जाइये और संगठन का काम देखिए”….घर-घर जाइये लोगों के घर ही रात बिताइए..उनको अपनी बात समझाइये.

कल जब देश सुकमा के नक्सली हमले का शोक मना रहा था तब नक्सलवाद के उद्गम स्थल नक्सलबाड़ी गांव में अमित शाह ने अपने सबसे पुराने महिला कार्यकर्ता के घर केले के पत्ते पर जमीन पर बैठकर भोजन किया.आप सोच सकतें हैं कि इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव किसी पार्टी के कार्यकर्ता और उसके आस-पास के माहौल पर क्या पड़ता है ?

अमित शाह ने न सिर्फ भोजन किया बल्कि अपने बूथ कार्यकर्ता जो महज तीस की संख्या में थे..जी महज तीस.उनको जीतने का मंत्र दिया कि ममता जी बौखला गयीं…आपने आज तक कभी अपने बूथ कार्यकर्ताओं से संवाद किया है..?ये आप नया नहीं समझें..दिल्ली-बिहार हारने के बाद व्यापक परिवर्तन करते हुए  यूपी चुनाव के पहले भी अमित शाह ने यही सब  किया था.

आपने क्या किया ?..सिवाय मोदी को कोसने के अलावा..अरे ! आपको अभी सिर्फ आरएसएस और अमित शाह नहीं पैदा करना है बल्कि पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले सुनील बंसल,ओम माथुर, विनय सहस्रबुद्धे,श्याम जाजू जैसे सैकड़ों नेता पैदा करना है…जो मंच पर नहीं,टीवी चैनल में नहीं,अखबार में नहीं..सिर्फ पर्दे के पीछे रहकर पार्टी और संगठन के लिये काम करतें हैं.

और आप क्या कर रहें हैं अभी तक ?.आप तो अभी सदमें से उबर भी नहीं पाए कि इन्होंने मोदी के आलावा एक जबरदस्त टीआरपी गेनर योगी पैदा कर दिया.अब टीवी खोलिये तो दो ही लोग दिखते हैं..एक योगी और एक मोदी.आप बस अपनी खीझ और गुस्से से निकले बयानों के कारण ही टीवी पर दिखाई देतें हैं..बाकी सब गायब.मैं पूछता हूँ कि आप और आपके नेता जी लोग चार राज्यों के चुनाव के बाद  क्या कर रहे हैं.? बस ईवीएम.ईवीएम..मोदी..मोदी..मोदी.

अरे ! भाई हिम्मत से हार स्वीकार करिये..कांग्रेस पार्टी आज तक एक ठीक-ठाक समीक्षा बैठक न कर सकी..आपके जो राष्ट्रीय नेता हैं वही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं.वहीं आपके स्टार प्रचारक हैं..वही आपके मार्गदर्शक हैं…आपने अपनी पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड बना दिया है…कांग्रेस मने गांधी परिवार..सपा मने अखिलेश,आप मने केजरीवाल..बसपा में बहन जी…चाटुकारों और जमीन से कटे नेताओं को आप सबने अपने  सर पर बिठाकर रखा है..औऱ जो आपसे सवाल पूछता है उसे आप निकाल बाहर करतें हैं.

 

मुझे भाजपा की जीत जाने की खुशी नही है…न ही उनको  अब बधाई दूँगा..क्योंकि आप लिख के रख लीजिए कहीं..वो अब कर्नाटक भी जीतेंगे और हिमांचल भी..उड़ीसा भी जीतेंगे और बंगाल भी…मुझे इसकी खुशी नहीं…क्योंकि ये लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं मानता मैं..कम से कम कांटे की टक्कर तो होनी ही चाहिए..जिसको देना आपके बस की बात तब तक नहीं है जब  तक कि आपकी पार्टी प्राइवेट लिमिटेड से लोकतांत्रिक पार्टी नहीं बन जाती..भय,द्वेष,भ्रष्टाचार,जातीय और तुष्टिकरण की राजनीति के साथ सो काल्ड सेक्युलरिज्म से ऊपर नहीं उठ जाती.

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