डॉक्टर, ये देश बीमार है….!

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वो छोटे शहर के बड़े नेता थे। अभी जनता नें उन्हें चुनाव जीताकर देश सेवा करने का मौका नहीं दिया था। इसलिए उन्होंने समाज सेवा करने का निर्णय लिया था।

फलस्वरूप वो रोज अस्पताल जाकर रोगियों को फल देते। फल की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते और वाह-वाही को फलित होते देखते।

अचानक एक दिन ऐसा हुआ कि उनकी सांस तेज़ हो गई और वो खुद उसी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हो गए।

देखते ही देखते उनके चार-पांच समर्थकों नें अस्पताल को बंधक बना लिया। डयूटी करके घर जा चुकी इकलौती नर्स को उसके किचन से उठाया गया।

नई-नवेली पत्नी के साथ लूडो खेल रहे इकलौते डॉक्टर को उसके बेडरूम से टांगकर लाया गया। फ़टाफ़ट सारी जांच कराई गई।

डॉक्टर नें नेता जी की समस्त रिपोर्ट चेक करके धीरे से पूछा, “सब कुछ तो नॉर्मल है नेताजी, क्यों परेशान हैं आप ?”

नॉर्मल सुनते ही नेताजी का पारा गर्म हो गया, वो चिल्लाए..

“मूर्ख, जब इस देश में कुछ भी नॉर्मल नहीं,तो मैं कैसे नार्मल हो सकता हूँ, ये बताओ ?”

डॉक्टर की बीपी बढ़ गई। उसनें कहा,”नेताजी मैं आपकी तबियत की बात कर रहा हूँ, देश की नहीं.”

नेताजी चिल्लाए..”बेवकूफ, जब इस देश की तबियत ठीक नही रहेगी तो मेरी तबियत कैसे ठीक रहेगी ? किस निकम्मे नें तुमको डॉक्टर बनाया ?”

डॉक्टर सोच में पड़ गया। समूचे कैरियर में अपनी तरह का पहला मामला आज उसके सामने था। आख़िरकार डॉक्टर की हालत देखकर नर्स से रहा न गया। उसनें डॉक्टर के कान में एक मंत्र फूंका।

मंत्र का तत्काल असर हुआ। डॉक्टर नें आँख बंद करके नेताजी के पेट में थर्मामीटर घूसा दिया औऱ जोर से पूछा, “आपनें अपना आखिरी भाषण कब दिया था ?”

” एक महीने पहले…”

“अंतिम बार मंच पर माला कब पहनी थी ?

“डेढ़ महीने पहले।”

डॉक्टर को पसीना आने लगा। उसनें कहा,”सर..तुरन्त चार-पांच माला पहनें और तुरंत जाकर कहीं भाषण दें..अगर धरना प्रदर्शन करते हैं तो अति उत्तम..स्वास्थ्य लाभ जल्दी होनें की फूल गारंटी..।”

धरना का नाम सुनते ही नेता जी के एक कट्टर समर्थक से रहा न गया, उसने डॉक्टर की कॉलर पकड़ ली,…”ई बताओ, इस गर्मी में धरना देनें से हमारे नेता की जान चली गई तो..? कौन जिम्मेदारी लेगा..? अबे कोई साधारण इलाज़ बताओगे या दूँ एक घूसा..”

डॉक्टर की सांस अटक गई। उसनें अपनी समूची इज्जत बचाते हुए कहा,” तब तो सर एक ही उपाय है बस..लेकिन गारंटी है कि तुरन्त आराम मिलेगा।”

“तो जल्दी बताओ न…. देर हो रही है।”

“जी,आजकल रीजल्ट का मौसम है। अगर परीक्षा पास कर चुके किसी गरीब विद्यार्थी को माला पहनाकर उसकी फ़ोटो सोशल मीडिया पर डाली जाए तो तबियत को तुरंत आराम मिल सकता है।”

नेताजी के समर्थक उछल पड़े..क्या बात कही डॉक्टर…देर किस बात की..अरे भाई आज ही तो यूपीएससी का रीजल्ट आया है। शहर की एक लड़की आईएएस बन गई है। अभी हम उसका माल्यार्पण करते हैं।

चलो जवानों..नेताजी की तबियत ठीक करने का इससे ज्यादा बड़ा मौका कुछ नहीं हो सकता।”

लेकिन इलाज की इस विधि से नेताजी चिंतित हो उठे।जैसे-तैसे बेड से उठे और बड़ी देर तक सोचकर बोले..

“मूर्खों..क्या वो लड़की अपनी जाति की है ?

एक समर्थक नें मायूस होकर कहा,” नहीं,अपनी जाति की तो नहीं है।

“तो क्या लड़की का बाप रिक्शा चलाता है ?”

” बिल्कुल नहीं…पैसे वाले लोग लगते हैं।”

नेताजी मायूस हो गए.., “तब रहनें दो।।मेरी तबियत ठीक नहीं हो सकती..इससे पूछो इसको किसनें डॉक्टर बनाया ?”

समर्थकों नें डॉक्टर का कॉलर पकड़ लिया…डॉक्टर पसीने-पसीने हो गया। इस बार नर्स नें फिर मोर्चा संभाला।

“रुकिए नेताजी..लड़की के पिताजी ऑफिस से पैदल ही घर जाते हैं, मैनें अपनी आंख से देखा है…!”

नेताजी उचककर खड़े हो गए,” बेवकूफ़ तब यही बात पहले बताना था। लड़की का बाप तो भारी कर्जे में है। चलो चलकर उनका सम्मान करें। तुम सब जल्दी सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखो।”

झट से फूल-माला और मिठाई मंगाया गया। नेताजी और उनके सारे समर्थक यूपीएससी क्वालिफाई कर चुकी लड़की के दरवाजे पर पहुँच गए। एक समर्थक नें पोस्ट भी लिख ली। अब बस फ़ोटो खींचनें और शेयर करनें की बारी थी।

लेकिन लड़की के घर जाते ही ग़जब हुआ। नेताजी धम्म से जमीन पर बैठ गए। उनकी सांस इस बार और तेज़ हो गई। धड़कन आटा चक्की से भी तेज चलने लगी।

खुद को औऱ अपने समर्थकों को कोसने लगे। कहने लगे,”मुझे अस्पताल ले चलो..जल्दी करो..

समर्थक कहने लगे,”पहले लड़की को माला तो पहना दीजिये..उसके बाप के साथ एक तस्वीर तो ले लें..

” नेताजी जी चिल्लाए…नहीं..नहीं वो देखो…. उस तरफ देखो..

सारे समर्थक उस तरफ देखने लगे।

सामने एक नायाब मंजर था… यू ट्यूबरों की लाइन लगी थी।

विरोधी पार्टी का एक युवा नेता आईएएस बन चुकी लड़की को माला पहनाकर एक पत्रकार को इंटरव्यू दे चुका था।

अन्य पार्टियों के नेता भी माला लेकर लाइन में खड़े थे।

आस-पड़ोस के हर व्यक्ति का इंटरव्यू हो चुका था।

विधायक और मंत्री सोशल मीडिया पर लड़की के पिताजी के साथ एक घण्टे पहले ही फोटो भी पोस्ट कर चुके थे।

और तो और नेताजी से पांच सौ वोट कम पाने वाला एक नेता नें अपनी पोस्ट में लड़की के पिताजी को अपने बचपन का मित्र और लड़की को अपनी सगी बेटी बता चुका था।

ये मंजर देख नेताजी रोने लगे…”बताओ..अब है कोई फायदा है, माला पहनाने और फ़ोटो खींचवाने से…? जल्दी मुझे अस्पताल ले चलो।”

निराश समर्थकों नें उनको टांग लिया। रस्ते में नेताजी जी और तेज रोने लगे, “मूर्खो..तुम्हारे जैसे समर्थको की बजह से मैं आज तक हार रहा हूँ। इस देश का कुछ नही हो सकता।”

समर्थकों नें नेताजी को अस्पताल के उसी बेड पर लाकर पटक दिया।

डॉक्टर ने पूछा,” क्या हुआ,आपकी तबियत ठीक हुई ?

नेताजी का फिर पारा गर्म हो गया उन्होंने चिल्लाकर फिर पूछा, “ये बताओ तुमको डॉक्टर किसनें बनाया?”

डाक्टर नें कहा, “जिसनें आपको नेता बनाया।”

“इस देश नें ?”

डाक्टर नें कहा, “जी..”

“तब ये देश बीमार है डॉक्टर..जल्दी से मुझे भर्ती करो..!”

डॉक्टर नें कहा, “माला पहनकर लेट जाइये सर..बिजली नहीं है।”

©- अतुल कुमार राय

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