बचपना बचाने के सूत्र
दो रुपया के पारले जी के लिए दो घंटे रोने और चुराये हुए गेंहूँ बेचकर समोसा खाने के दिव्य सुख के आगे आज महंगे...
भारतीय वीरांगनाओं की कहानी,जो इतिहास की किताबों में दर्ज नहीं है
संगीत के ग्रंथों में परस्पर विरोधाभास नें आज संगीत के छात्रों के सम्मुख बड़ा ही भ्रमात्मक स्थिति उत्पन्न कर दिया है.ग्रंथों में इतने मतभेद...
वो आवाज: जिसे सुनते ही सब अपना काम छोड़ देते थे
तब Radio का जमाना था। मनोरंजन के इतने साधन और इतने कलाकार नही थे। Radio ,साइकिल और घड़ी स्टेटस सिम्बल हुआ करता था।आकाशवाणी से...
कभी-कभी खुद से बात करना क्यों जरूरी है ?
SELF TALK - आत्मसंवाद का एक अंश
आज बनारस.कई दिन बाद आके कमरा खोलता हूँ। ओह!.होली में गाँव चले जाने के कारण नाराज, मकान मालिक...
आप गायत्री ठाकुर को जानते हैं ?
जब घरे घरे टीवी , टेप आ रेडियो ना रहे मनोरंजन के साधन कम रहे हतना गायक आ कलाकार लो ना रहे लो लोग...
आज दुनिया क्यों बोलती है “वाह उस्ताद”
1955 के आस-पास मुंबई के एक घर में पति-पत्नी में सलाह चल रही होती है कि उनका बेटा बड़ा होके क्या बनेगा? माँ कहती...
एक ऐसी भाषा जो हर जगह समझी जाती है
MUSIC कार्यक्रम के सिलसिले में अक्सर यात्रावों में रहना होता है। कभी कभी यात्रायें इतनी ज्यादा हो जाती है कि जीवन खानाबदोश जैसा लगने...