एक पटाखा विमर्श…
ये मौसम बदलने का मौसम है। एक झटके में सुबह की नर्म हवा दोपहर की गर्म हवा में इस तरह बदल जाती है,मानों समूचे...
मैं नए जमाने का पुराना आदमी हूँ…
घर के किसी कोने में फेंके हुए हल,जुआठ,खुरपी,हंसुआ देखकर आज भी कदम ठिठक से जाते हैं। हल की मूठ से अपने पुरखों की स्मृतियों...
बचपन का पन्द्रह अगस्त ( अहा ! ज़िन्दगी के अगस्त अंक में प्रकाशित )
ग्राम रघुनाथपुर का उत्तरी बाजार। इस जगह को बाज़ार होने की योग्यता बस इसलिए मिल गई क्योंकि पिछले साल बाढ़ के समय सरकार ने...
अश्लीलता के टेम्पो पर सवार भोजपुरी
शादी-ब्याह के दिन में शगुन उठ रहा हो या घर में कोई शुभ कार्य हो रहा है..जैसे ही घर की बुढ़िया माई अपना आँचल...
जीवन में बचाने लायक क्या है ?
एक मित्र बड़े परेशान रहते थे कि नौकरी नहीं है और जिम्मेदारी चक्रवृद्धि ब्याज की तरह बढ़ रही है। बाल पक गए,शादी न हुई,घर...
भोजपुरी का नया सिनेमा- इन पांच शार्ट फिल्मों को नहीं देखा तो क्या देखा...
रोज सैकड़ों अश्लील एलबम, हजारों अश्लील गीत, भोजपुरी में भोजपुरी को छोड़कर सब कुछ दिखातीं दर्जनों फिल्में।
मस्तराम के मामा को मात देने को बेताब...
गाँव-जवार का फगुआ गान (अहा ! ज़िंदगी के मार्च अंक में प्रकाशित )
गांव के ताल-पोखरा हो या अमराई,महुवा के चिकनाते पत्ते हों या बंसवार में फूटते कोंपल.काली माई का दुआर हो या लाई-दाना भूजने वाली घोसार.गांव...
ध्रुपद मेला : जिनगी के झमेला में आनंद का मेला
जिनगी वो मेला है,जिसमें आखिरी सांस तक झमेला है.इस मेले में उदासियों के समियाने खड़े हैं,तो कहीं नांचती चरखी पर बैठे फलानें। जरा सा...
लोक में अश्लीलता बनाम भोजपुरी की अश्लीलता
जैसे ही गाँव में इकलौते साले जी का आगमन होता है.गाँव के रोम-रोम में जीजत्व की भावना संचरण करने लगती है.वो साला उर्फ सार...
पियवा से पहिले हमार रहलू ( सन्दर्भ सहित व्याख्या )
प्रश्न - भोजपुरी के लोकप्रिय गीत 'पियवा से पहिले हमार रहलू' की सन्दर्भ सहित व्याख्या करें।
अथवा
"रात दिया बुता के पिया क्या-क्या किया" की सारगर्भित...