कहीं न जाने वाले रास्तों पर !
मौसम अब हथेली की तरह गर्म होने लगा है। सुबह का सूरज खिड़की पर आकर जगा जाता है। दोपहर भी कहती है,रुकना...
भोजपुरी संगीत अश्लील क्यों है ? ( इतिहास और वर्तमान पर एक नज़र )
वो साठ का दशक था,तब मनोरंजन के इतने साधन नहीं थे। ले-देकर दशहरा के समय दरभंगा और अयोध्या...
व्यर्थ आवाज़ों की सार्थकता
साँझ सवेरे खिड़की पर गौरैया,कबूतर आकर बोल जाते हैं। न जाने क्या, बहुत जल्दी-जल्दी ! कभी ख़ूब तेज आवाज़ में,कभी मद्धिम। कभी...
इमोशन का जन-धन एकाउंट !
पिछले दो-तीन पोस्ट पढ़कर एक मित्र नें कहा कि इतना ह्यूमर कहाँ से लाते हो भाई ? मैनें कहा,"जनधन एकाउंट में जमा...
एक पटाखा विमर्श…
ये मौसम बदलने का मौसम है। एक झटके में सुबह की नर्म हवा दोपहर की गर्म हवा में इस तरह बदल जाती है,मानों समूचे...
मैं नए जमाने का पुराना आदमी हूँ…
घर के किसी कोने में फेंके हुए हल,जुआठ,खुरपी,हंसुआ देखकर आज भी कदम ठिठक से जाते हैं। हल की मूठ से अपने पुरखों की स्मृतियों...
बचपन का पन्द्रह अगस्त ( अहा ! ज़िन्दगी के अगस्त अंक में प्रकाशित )
ग्राम रघुनाथपुर का उत्तरी बाजार। इस जगह को बाज़ार होने की योग्यता बस इसलिए मिल गई क्योंकि पिछले साल बाढ़ के समय सरकार ने...
अश्लीलता के टेम्पो पर सवार भोजपुरी
शादी-ब्याह के दिन में शगुन उठ रहा हो या घर में कोई शुभ कार्य हो रहा है..जैसे ही घर की बुढ़िया माई अपना आँचल...
जीवन में बचाने लायक क्या है ?
एक मित्र बड़े परेशान रहते थे कि नौकरी नहीं है और जिम्मेदारी चक्रवृद्धि ब्याज की तरह बढ़ रही है। बाल पक गए,शादी न हुई,घर...
भोजपुरी का नया सिनेमा- इन पांच शार्ट फिल्मों को नहीं देखा तो क्या देखा...
रोज सैकड़ों अश्लील एलबम, हजारों अश्लील गीत, भोजपुरी में भोजपुरी को छोड़कर सब कुछ दिखातीं दर्जनों फिल्में।
मस्तराम के मामा को मात देने को बेताब...