प्रिय Rahul Gandhi जी
सादर नमस्कार
उम्मीद है आप डीह बाबा काली माई की कृपा से ठीक होंगे और दस दिन बाद प्रधानमंत्री बनने की तैयारी कर रहे होंगे।
सर- कल मैनें आपका वो बहुप्रतिक्षित इंटरव्यू देखा..ये भी देखा कि विगत पाँच सालों में मोदी का इंटरव्यू लेने वाले हर पत्रकार को पत्रकारिता पढ़ाने वाले और प्रश्न कैसे होने चाहिए इसकी परिभाषा तय करने वाले धरती के एक मात्र ईमानदार पत्रकार राजा रवीश कुमार जी ने आपसे एक बार भी नहीं पूछा…
“कि हे नेहरू श्रेष्ठ,राजीव नंदन… मैं प्रणवदास आपसे जानना चाहूँगा कि आपने देश चलाने का तरीका तो सीख लिया,लेकिन जिन घोटालों के कारण आपकी चल रही सरकार चली गई,उसे पीएम बन जाने के बाद कैसे रोकेंगे,क्या है उसका मास्टर प्लान..”?
राहुल जी आपने देखा होगा कि पत्रकार श्रेष्ठ नें इस प्रश्न को न पूछकर आपसे एक गज़ब का कठिन प्रश्न पूछा-
“आपको पप्पू कहा जाता है.. मीम बनाया जाता है..आपको बुरा लगता है” ?
हाय! क्या प्रश्न था..
मानों देवर चुनावी होली में भौजाई से पूछ रहा हो कि “हे भौजी मैं मजाक करता हूँ..आपको बुरा लगता है”?
राहुल जी सिर्फ आपकी डिम्पलमयी मुस्कान पर ही नहीं,रवीश जी की इस बाँकी अदा पर भी मर जाने का मन करता है।
लेकिन इसके बावजूद मुझे ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि रवीश जी भले इन कुछ सालों में कांग्रेस भक्ति में लीन हों,लेकिन वो पत्रकारिता जगत की मौलिक आवाज़ थे।
और इधर जब देश के तमाम चैनलों में फालतू की हिन्दू-मुस्लिम बहस चल रही थी। तब वो परीक्षा तंत्र और विद्यार्थियों की समस्या पर प्राइम टाइम कर रहे थे। जिसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है।
लेकिन बात ये है कि उन्हें दूसरे पत्रकारों और चैनलों को सलाह देने और बौद्धिक गाली देना बंद कर अपने गिरेबान में झांकते रहना चाहिए..
क्योंकि आप और हम कितने भी महान क्यों न हों। अगर हमें खुद को ऊँचा उठाने के लिए दूसरों को रोज नीचा दिखाने की जरूरत पड़ रही है,तो फिर आपसे-हमसे गिरा हुआ व्यक्ति कोई नहीं है।
प्रिय राहुल जी-
यही कारण है कि उस पूरे इंटरव्यू में राजनेता राहुल गाँधी,पत्रकार रवीश कुमार से ज्यादा ईमानदार नज़र आए। इसके लिए आपको पहले बधाई..
आज मैं बतौर मतदाता आपसे कुछ बातें कहना चाहूंगा..वो कुछ बातें…जो न किसी टीवी चैनल पर की जा रहीं हैं,न ही किसी आपके पिद्दी ने आपको सलाह दिया होगा। न ही आपका या किसी का पाँच साल में इस पर ध्यान गया होगा।
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि जितना जल्दी हो सके आप अपने पॉलिटिकल स्ट्रैटीजिस्ट बदल दीजिए..हो सके तो अपने सलाहकार को टिकट देकर बैंकॉक भेज दीजिये ताकि वो कुछ दिन आध्यात्मिक माहौल में रहकर बुद्धि-शुद्धि कर सके।
मैं पूछता हूँ कि ये किस मूर्ख को बिठा रखा है आपने..?
आपको पता न होगा कि आपके इन सलाहकारों के कारण तमाम विपक्षियों ने विगत पाँच सालों में कितनी बड़ी गलती की है।
इनकी सबसे बड़ी गलती ये कि इन्हें ये मूर्खतापूर्ण विश्वास हो गया है कि हम मोदी की छवि बिगाड़कर अपनी छवि चमका लेंगे औऱ आपको पीएम बना देंगे।
यही कारण है कि इन पाँच सालों में सारा का सारा विपक्ष और इनके बौद्धिक समर्थकों नें अपनी सारी की सारी ऊर्जा मोदी विरोध में झोंक दिया है।
देख लीजिए सोशल मीडिया पर कोई भी कांग्रेस या सपा,बसपा,आप का खुला समर्थक-बन्द समर्थक अपने नेता या पार्टी के विज़न की तारीफ़ करने से ज्यादा मोदी को गाली देता हुआ या मज़ाक उड़ाता हुआ मिलेगा।
यहाँ तक कि कुछ लोगों नें तो इसी को अपना बिजनेस बना लिया है।
कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों की सरकारें देश में कौन सा अच्छा काम कर रही है और भाजपा सरकारों की तुलना में क्या बढ़िया कर रही है,ये बताने से ज्यादा मोदी कितना बुरा कर रहा है,इस पर फोकस कर रखा है।
उनकी हर बात मोदी से शुरू होकर मोदी पर खत्म हो जाती है।
इसलिए हे राहुल सर…
आप पाँच सालों में मोदी की छवि को बिगाड़ने के चक्कर में अपनी छवि बनाना भूलते जा रहें हैं।
आप भूल रहे हैं कि कोई बुद्धिजीवी और समर्थक किसी नेता या महापुरुष की टिकाऊ छवि बनाता बिगाड़ता नहीं है। बल्कि इस देश का लोक मानस किसी को बनाता और बिगाड़ता है।
औऱ आपके सलाहकार इसी लोक मानस की संरचना को आज तक समझ न पाए हैं।
हे सर-
ये राम,कृष्ण,शिव,बुद्ध,महावीर,नानक,तुलसी,कबीर और रैदास जैसे असंख्य मुनियों,ऋषियों और पीरों- फकीरों का देश है। इस देश की माटी और इसके अस्तित्व में छिपी ऊर्जा बड़ी सकारात्मक है।
भौतिकता से पगलाए दुनिया भर के लोग इसके सकारात्मकता की उसी छाँव में सुस्ताने आतें हैं।
इसके पास केवल नकारात्मक बातें करेंगे तो आप कही के नहीं रहेंगे। यहाँ आपकी सकारात्मक बातें ही असर कर पाएंगी।
आप यही गलती कर गए..आपको और आपके लोगों को जरूरत से ज्यादा नकारात्मक होने की गलती नही करनी थी।
यही गलती, सौ सालों में वामपंथियों ने की और यही गलती वो आज भी कर भी रहे हैं और आपसे भी करवा रहें हैं।
मैं बस यही कहूँगा कि आपको मोदी को हराना है तो पहले अपने इन नेहरूयुगीन पालक-बालकों को एडवायजरी जारी करना होगा कि “हे मेरे पालक बालकों-अभी कुछ साल मोदी की छवि बिगाड़ने से पहले अपनी छवि बनाने पर जोर देना है।”
अपने मुख्यमंत्रियों सांसदो,विधायकों से कहना है कि हमारी लड़ाई भाजपा से बाद में होगी,पहले हमें खुद से लड़ना है।
हमें ध्यान रखना है कि हम ये जब भी कहतें हैं कि देश में बिजली नहीं है,पानी नहीं है,नौकरी नहीं है,देश पीछे हो गया, गरीबी हटानी है,किसान मर रहे हैं..
तो हम मोदी को कोसने से ज्यादा नेहरू जी इंदिरा जी और राजीव जी और अपने ही पचास साल के शासन काल का मजाक उड़ा रहे होते हैं। और योजना आयोग के साथ अब तक की सभी पंचवर्षीय योजनाओं को लानतें भेज रहे होते हैं।
और हे राहुल जी- आज वो समय नहीं रहा जब प्रपंच से चुनाव जीते जाते थे.. और जो आपके पालक-बालक चाहते थे,वही जनता जानती थी।
आज जनता बड़ी आगे चली गई है। वो आप क्या हैं और मोदी क्या हैं और कौन क्या कर रहा है ? इसका विश्लेषण किसी टीवी-अखबार और प्राइम टाइम से नहीं करती..न ही किसी बुद्धिजीवी का पोस्ट पढ़कर करती है।
उसके हाथ में स्मार्ट फोन है,गूगल है,उसके पास आंखे हैं,दृष्टि है,वो स्वयं देख लेती है। मूर्खता तो ये है कि देश के बुद्धिजीवि इनको मूर्ख औऱ भक्त समझतें हैं।
इसलिए आप लाख डिम्पलमयी मुस्कान लेकर “चौकीदार चोर है” कहें लेकिन आप जब तक टू जी जीजा जी और कोयला जी कामनवेल्थ जी की कसम खाकर कांग्रेस का वर्जन 2 लांच नहीं करते तब तक जमीनी परिवर्तन बेमानी है।
अब समय है कि आप अपने नेतृत्व में एक नई शुरुवात करें ।
मोदी से ही सारी अपेक्षाएं रखनें से पहले अपने राज्यों में गुड गवर्नेंस का एक मानक स्थापित करें।
क्योंकि बस सेक्युलर फर्मेशन का ढोल पीटने से अब चुनाव नहीं जीते जा सकते..न ही 130 करोड़ लोगों का भला हो सकता है। इससे तो बस चंद लोगों के बौद्धिक अहंकार तृप्त हो सकते हैं।
आपको सोचना है कि आपकी सरकारें, और आपके सांसद, विधायक मिलकर देश के किसान,नौजवान, गांव,गरीब शहर के लिए क्या ऐसा सकारात्मक करें कि वो सीधे आम जन मानस के दिल में उतर जाए..
ऐसा क्या किया जाए जो भाजपा सरकार नहीं कर रही है।
अगर वो धर्म की राजनीति कर रहें हैं तो आपको भी तुष्टिकरण की राजनीति बन्द कर देनी चाहिए..उनका कारोबार अपने आप बन्द हो जाएगा।
अगर वो रोज़गार, सड़क,स्वास्थ्य,शिक्षा के मुद्दे पर नाकाम हैं तो आप जहाँ हैं अपने राज्यों में बेहतर करके उसे जनता के सामने लाकर रख दें,वो अपने आप सीख जाएंगे।
अगर वो रोजगार देने में फेल हैं तो आपको अब तक मध्यप्रदेश,राजस्थान,
छत्तीसगढ़ में रोजगार देकर एक नज़ीर पेश कर देनी चाहिये थी। जनता अपने आप उन्हें हटा देती।
राहुल सर- आज़ इसका 20% भी हुआ होता तो आपके पक्ष में एक सकारात्मक औऱ रचनात्मक माहौल बनता और जनता आपका प्रचार कर रही होती,आपका मोदी विरोध जमीन पर कारगर हो रहा होता।
मुझे अक्सर लगता है कि भारत की राजनीति को अब बदलने की जरूरत है।
आज एक मजबूत पक्ष और उतना ही मजबूत विपक्ष की इस देश को जरूरत है। इससे देश के आम जन को फायदा होगा।
उम्मीद है वो दिन आएगा…..कब आएगा पता नहीं।
और वो दिन ख़ूबसूरत होगा..जब आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से इतर राजनीति का रचनात्मक स्वरुप देखने को मिलेगा।
कि ताल ठोंककर कहा जाएगा “कि आवो मैदान में तुमने चार करोड़ में सड़क बनाई और चार महीने न चलीं,हम दो करोड़ में बनवाए आज तीन साल बाद तक खरोंच न आई है।”
“तुम्हारे अस्पतालों में दवाई नहीं है,हमारे अस्पताल में कोई रोगी अभाव में मरता नहीं है। एजुकेशन तुम्हारे यहाँ महंगा हैं..हमारे यहां देखो कितना सस्ता है और गुणवत्तापूर्ण है।
तुम बस मन्दिर गए..हम रोज़ मन्दिर,मस्जिद,गुरुद्वारा और गिरजाघर भी जाते हैं।
तुम्हारे यहाँ रोज़ रेप,चोरी, छिनैती हो रही हमने तो पिछले आरोपी को झट से लटका दिया..
तुम्हारे यहाँ नौकरी नहीं हैं..हमारे यहाँ अब तक का सबसे तगड़ा प्लेसमेंट हुआ है।
और सर और तब न आपको लुटियन दिल्ली के गैंग की जरूरत पड़ेगी..न ही किसी भक्त पत्रकार के नकली मुस्कान की।
जनता ही आपका प्रचार करेगी..क्योंकि वही सबसे बड़ी प्रचारक है।
एक दौर था जब कम्युनिकेशन कमजोर था,आंधी बहा दी जाती थी। अब ये सब सम्भव नहीं है। वो दौर चला गया…जमीन पर देखिये बहुत कुछ है जो बहुत धीमी आवाज़ में बदल चुका है।
इसलिए अगर आपको अब भी भरम है कि अर्नब, सुधीर और राजदीप बरखा,रवीश चुनाव जितवाते हैं,और उन्हीं के कारण लोग चौवालिस डिग्री तापमान में जलते हुए मोदी का भाषण सुनते हैं,तो आपको इस भरम को जितना जल्दी हो सकें निकाल देना चाहिये..
और जान लेना चाहिए कि ये चंद लोग बस चंद दिनों के नैरेटिव गढ़ने और हैशटैग ट्रेंड कराने के काम आतें हैं,चुनाव जिताने के नहीं।
समर्थन बनाना और बिगाड़ना तो उस लोक मानस के हाथ में है जो गैर राजनीतिक और गैर बुद्धिजीवी है। जो अपनी रोजी-रोटी और दिन-दुनिया में उलझा है।
और यही लोक मानस कभी नेहरू जी के साथ था,कभी इंदिरा जी के साथ..कभी राजीव जी और कभी अटल जी के साथ।
आज वो मोदी के साथ है,
कल आपके साथ भी हो सकता है।
बस वही एक बात कि इस देश के समूचे विपक्ष को मोदी की छवि बिगाड़ने से पहले अपना बनाने की जरूरत है,अपनी गलती सुधारने की जरूरत है।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
आपका ही
एक मतदाता
Atul Kumar Rai